शान की उफान

वो मिले
और लगातार
मिलते रहे।

हमने कभी
उनको रोक नही,

एक दिन
देर से मिले।

हमने कुछ
बोला नही,

एक दिन कहा मुझसे
अब कभी मिलना नही,

हम फिर भी
थे खामोश।

फिर सालो बाद
हुई मुलाकात।

देख के वो मुस्कुराये
और हमने कहा

"कैसी हो "

और वो गले,
से लिपट के रोने लगें।

......


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