कुछ देर और रुक जाते

जल्दी परी
थी क्यू ना जाने,
मुझे जाने की।

जूता पेहेन रहे थे,
और वो मुझे देख रहे थे।

घड़ी छूट गई,
बिस्तर पे ही।

वो देखने मे मगन थी,
और ना जाने क्या सोच रही थी।

एक अधूरी कहानी है ये,
पर दिल को सुहानी है ये।

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