पुराने गिले-शिकवे भुला कर एक दूसरे के रंग में रंग जाने का। होली के त्योहार पर रिश्तेदार, पड़ोसी, मित्रवर्ग, हर्ष और उल्लास से एक दूसरे से मिलते है। एक दूजे को रंग लगाते है। नृत्य गान करते है। ढोलक मंजीरा एवम अन्य संगीत वादक बजा कर मनोरंजन करते है।
होली समानता का प्रतीक
जैसे प्रकृति किसी भी भेद भाव के बिना अपनी पवन, अपनी वर्षा, धूप, सब लोगो मे समान बांटती है। वैसे ही होली के रंग भी बिना किसी भेदभाव के खेलने वालों को समान रूप से एक जेसा रंग देता है । अबीर- गुलाल और रंग-बिरंगे रंगो मे रंग कर सारे होली खेलने वाले एक जैसे रंग-बिरंगे बन जाते हैं। और तब ऐसा प्रतीत होता है, के सारे भेद भाव उंच-नीच मिट गए हैं। इस तरह होली सब के एक समान होने का संदेश देती है।
होली पर मिठाईयां और मनोरंजन
हर उम्र के व्यक्ति होली के उत्सव को हर्ष और उल्लास से मनाते है। इस त्योहार पर घर की स्त्रीयां बड़े लज़ीज़ व्यंजन बनाती है। जेसे के लड्डू, खीर, पूरी, वडा, गुझिया, खजूर,ठेकुआ इत्यादि । हर प्रदेश मे होली के अलग अलग गीत गाये जाते है। ढोलक मंजीरा, इत्यादि संगीत वादक यंत्र बजा कर नाच-गान के साथ इस उत्सव का लुफ्त उठाया जाता है। बच्चे बाज़ार से खरीदी हुई पिचकारियों से एक दूसरों को रंग कर अपना मनोरंजन करते है। सगे सम्बन्धी एक दूसरों को मिठाईया भेट करते है। बच्चे और बड़े अपने बुजुर्गो का आशीर्वाद लेते है। वसंत की शुरुआत की खूशिया इस तरह बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। और ऐसा कहा जाता है के प्रथम पुरुष मनु का जन्म भी वसंत आने की तिथि मे हुआ था इस लिए होली का उत्सव उसका भी प्रतीक है।
प्रचलित होली
वैसे तो होली हर जगह बड़े धूम धाम से मनाई जाती है। पर व्रज, मथुरा, वृन्दावन, बरसाने की लट्ठमार होली, श्रीनाथजी, काशी, इन जगहो की होली काफी प्रख्यात मानी जाती है। भारत के कुछ प्रान्तों में होली पांच दिन तक मनाई जाती है जो होलिका के साथ शुरू होकर रंग पंचमी के दिन ख़त्म होती है।
होली का नकारात्मक पहलू:
होली एक पावन पर्व है लेकिन आधुनिक युग में कुछ लोग इस त्यौहार की गरिमा के साथ खिलवाड़ करते नज़र आ जाते हैं। इस शुभ दिन कई लोग भांग-शराब आदि का नशा करके हुडदंग मचाते हैं और बाकी लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर देते हैं। इसके आलावा मुनाफा कमाने के लालच में बहुत से दुकानदार मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचकर भी इस उत्सव का स्वाद बिगाड़ने से बाज नहीं आते। रंगों में भी अत्यधिक कैमिकल्स का प्रयोग होली के रंग में भंग डालने का काम करता है।
मित्रों, होली एक पवित्र धार्मिक मान्यताओ से जुड़ा हुआ खुशियो का त्योहार है। आइये हम सब मिलकर इस त्योहार की गरिमा को बनाये रखें और रंगों के इस उत्सव को धूम-धाम से मनाएं।
धन्यवाद!
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